📢 CBSE नया नियम 2026: प्राइवेट छात्रों के लिए अतिरिक्त विषय खत्म
🔍 पहले क्या था प्रावधान?
CBSE नया नियम 2026 लागू होने से पहले, प्राइवेट छात्र मुख्य विषयों के साथ अतिरिक्त विषय चुन सकते थे। उदाहरण के लिए, यदि किसी छात्र ने 12वीं में कॉमर्स स्ट्रीम ली थी लेकिन बाद में उसे विज्ञान क्षेत्र में जाना था, तो वह गणित या जीव विज्ञान जैसे विषय अतिरिक्त रूप से ले सकता था। यह प्रावधान उन छात्रों के लिए खासतौर से उपयोगी था जो NEET और JEE जैसी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे थे।
लेकिन अब इस सुविधा को पूरी तरह से खत्म कर दिया गया है। यानी प्राइवेट छात्रों के लिए करियर विकल्प पहले की तुलना में सीमित हो जाएंगे।
🤔 CBSE ने क्यों लिया यह फैसला?
CBSE का तर्क है कि यह निर्णय परीक्षा प्रणाली की पारदर्शिता और निष्पक्षता बनाए रखने के लिए लिया गया है। बोर्ड के अनुसार:
- नियमित छात्रों का मूल्यांकन स्कूल में असाइनमेंट, प्रोजेक्ट और प्रैक्टिकल के आधार पर होता है।
- प्राइवेट छात्रों के पास ऐसी व्यवस्था नहीं होती, जिससे असमानता पैदा होती है।
- राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP 2020) ने 75% उपस्थिति, दो वर्षीय पाठ्यक्रम और आंतरिक मूल्यांकन को अनिवार्य बना दिया है।
- इन नियमों के कारण प्राइवेट छात्रों के लिए अतिरिक्त विषय पढ़ना संभव नहीं है।
CBSE का मानना है कि इस बदलाव से शिक्षा प्रणाली अधिक पारदर्शी होगी और छात्रों के बीच भेदभाव की संभावना कम होगी।
😠 छात्रों और अभिभावकों की प्रतिक्रिया
जैसे ही CBSE नया नियम 2026 की घोषणा हुई, छात्रों और अभिभावकों में नाराजगी फैल गई। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर छात्र इसे अनुचित बता रहे हैं।
मुख्य चिंताएँ:
- करियर विकल्प सीमित: प्रतियोगी परीक्षाओं में बैठने के लिए जरूरी विषय नहीं चुन पाएंगे।
- मेहनत व्यर्थ: जिन छात्रों ने पहले से अतिरिक्त विषय की तैयारी की है, उनकी मेहनत बेकार हो जाएगी।
- असमान अवसर: नियमित छात्रों को यह सुविधा मिलेगी लेकिन प्राइवेट छात्रों से छीन ली गई है।
👩🎓 किन छात्रों पर सबसे अधिक असर पड़ेगा?
- प्रतियोगी परीक्षा देने वाले छात्र: NEET, JEE जैसी परीक्षाओं के लिए आवश्यक विषय नहीं ले पाएंगे।
- करियर बदलने वाले छात्र: जो आर्ट्स या कॉमर्स से पढ़ चुके हैं और साइंस क्षेत्र में जाना चाहते थे।
- ग्रामीण और आर्थिक रूप से कमजोर छात्र: जो नियमित स्कूल में नहीं पढ़ सकते और प्राइवेट उम्मीदवार के रूप में परीक्षा देते हैं।
💡 विकल्प और समाधान
हालांकि यह नियम छात्रों के लिए मुश्किलें खड़ी करता है, लेकिन कुछ विकल्प मौजूद हैं:
- NIOS और राज्य बोर्ड: कई बोर्ड अभी भी अतिरिक्त विषय लेने की अनुमति देते हैं।
- ऑनलाइन कोर्स: SWAYAM, Coursera और अन्य प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध कोर्स छात्रों की स्किल बढ़ा सकते हैं।
- करियर काउंसलिंग: विशेषज्ञों की मदद से मौजूदा विषयों के आधार पर करियर विकल्प चुने जा सकते हैं।
- व्यावसायिक शिक्षा: आईटीआई, डिप्लोमा और स्किल-डेवलपमेंट प्रोग्राम नए रास्ते खोल सकते हैं।
📢 छात्रों की माँग
छात्र संगठनों और शिक्षा विशेषज्ञों ने यह मांग रखी है:
- फैसले को लागू करने से पहले ट्रांजिशन पीरियड दिया जाए।
- प्राइवेट छात्रों के लिए वैकल्पिक मूल्यांकन प्रणाली बनाई जाए।
- नियमित और प्राइवेट छात्रों को समान अवसर प्रदान किए जाएँ।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQ)
Q1. क्या अब प्राइवेट छात्र अतिरिक्त विषय ले पाएंगे?
नहीं, CBSE नया नियम 2026 के तहत प्राइवेट छात्रों को 10वीं और 12वीं बोर्ड परीक्षा में अतिरिक्त विषय चुनने की अनुमति नहीं होगी।
Q2. इस फैसले का सबसे ज्यादा असर किन पर होगा?
उन छात्रों पर जो प्रतियोगी परीक्षाओं (NEET, JEE) की तैयारी के लिए अतिरिक्त विषय लेना चाहते थे या करियर बदलना चाहते थे।
Q3. क्या नियमित छात्र अभी भी अतिरिक्त विषय चुन सकते हैं?
हाँ, नियमित छात्रों को यह सुविधा मिलेगी लेकिन उन्हें दो साल तक पढ़ाई करनी होगी और 75% उपस्थिति भी जरूरी होगी।
Q4. प्राइवेट छात्रों के पास अब कौन से विकल्प हैं?
वे NIOS, राज्य बोर्ड, ऑनलाइन कोर्स और व्यावसायिक शिक्षा के विकल्प चुन सकते हैं।
Q5. क्या CBSE इस फैसले पर दोबारा विचार करेगा?
अभी तक कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई है, लेकिन छात्रों और संगठनों के दबाव में बदलाव संभव हो सकता है।
✅ निष्कर्ष
CBSE नया नियम 2026 का उद्देश्य शिक्षा प्रणाली को निष्पक्ष और पारदर्शी बनाना है। लेकिन इससे लाखों प्राइवेट छात्रों की मुश्किलें बढ़ जाएंगी। जो छात्र अतिरिक्त विषय लेकर करियर बनाना चाहते थे, उनके लिए यह बड़ा झटका है।
शिक्षा नीतियों का मकसद छात्रों को आगे बढ़ाना होना चाहिए, न कि अवसर सीमित करना। उम्मीद है कि आने वाले समय में CBSE छात्रों की चिंता को ध्यान में रखते हुए कोई वैकल्पिक समाधान लेकर आएगा।
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